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भागवत महापुराण28

  1. अश्वनी 
  2. भरणी
  3. कृतिका
  4. रोहिणी
  5. मृगशिर
  6. आर्द्रा
  7. पुनर्वसु
  8. पुष्य
  9. आश्लेषा
  10. मघा
  11. पूर्वा फाल्गुनी
  12. उत्तरा फाल्गुनी
  13. Hastn13  
  14. Chitran 
  15. Swatin
  16. Vishakan
  17. Anuradha
  18. Jestha
  19. Mool
  20. पूर्वाषाढा
  21. Uttarashadha
  22. श्रवण
  23. Dhanistha
  24. Shatbheesha
  25. पूर्वाभाद्रपद
  26. Uttarabhadrapadn
  27. Revatin
  28. अभिजित

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14April

वासुदेव  " विशुद्ध परमार्थरूप,   अद्वितीय तथा  भीतर-बाहरके भेदसे रहित परिपूर्ण ज्ञान ही सत्य वस्तु है।  वह सर्वान्तर्वर्ती और  सर्वथा निर्विकार है।  उसीका नाम 'भगवान्' है और  उसीको पण्डितजन ' वासुदेव ' कहते हैं।" " महापुरुषोंके चरणोंकी धूलिसे अपनेको नहलाये बिना केवल तप,  यज्ञादि वैदिक कर्म,  अन्नादिके दान, अतिथिसेवा, दीनसेवा आदि गृहस्थोचित धर्मानुष्ठान,  वेदाध्ययन अथवा  जल, अग्नि या सूर्यकी उपासना आदि किसी भी साधनसे  यह परमात्मज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।"