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Canto 10A

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14April

वासुदेव  " विशुद्ध परमार्थरूप,   अद्वितीय तथा  भीतर-बाहरके भेदसे रहित परिपूर्ण ज्ञान ही सत्य वस्तु है।  वह सर्वान्तर्वर्ती और  सर्वथा निर्विकार है।  उसीका नाम 'भगवान्' है और  उसीको पण्डितजन ' वासुदेव ' कहते हैं।" " महापुरुषोंके चरणोंकी धूलिसे अपनेको नहलाये बिना केवल तप,  यज्ञादि वैदिक कर्म,  अन्नादिके दान, अतिथिसेवा, दीनसेवा आदि गृहस्थोचित धर्मानुष्ठान,  वेदाध्ययन अथवा  जल, अग्नि या सूर्यकी उपासना आदि किसी भी साधनसे  यह परमात्मज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।"